कूज़ा जैसे के छलक जाए भर जाने पर,

कोई आंसू ही बहा दे मेरे मर जाने पर,

है खबर झूठी मगर फिर भी खबर भेजी जाए,

क्या ख़बर कोई यकीं कर ले ख़बर जाने पर,

बुझ गया वक्त से पहले जो दिया वो मैं हूं,

खुश नहीं होती है हवा मेरे ठहर जाने पर।


~ अमृतांशु शर्मा 

✍️ Amritanshu Sharma ©️

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