मेरे रिश्ते की डोर थी शायद कमज़ोर, टूटने लगा है,

कोई बेहद अपना हमसे बात-बात पे रूठने लगा है,

वक्त गुज़र रहा एक दूसरे को समझने में, मनाने में,

मुट्ठियों से रेत की तरह वो हमदर्द मेरा छूटने लगा है।


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✍️ Hritik Raushan ©️

        [ @hritik040 ]

16 October 2022, 03:34 AM

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